रविवार, 10 फ़रवरी 2013

अनेक रोगों में उपयोगी इलाइची

इलाइची 


हमारे यहाँ इलाइची (एला ) का प्रयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। अथर्ववेद परिशिष्ट (1:45:8) में इलाइची का प्रयोग नक्षत्र स्थान में करने का उल्लेख किया है। आयुर्वेद में आचार्य चरक ने इलाइची का प्रयोग करते हुए शिरोविरेचानीय द्रव्यों के अंतर्गत उल्लेख किया है।

आचार्य भावमिश्र ने इलाइची के सम्बन्ध में उल्लेख करते हुए इसके गुणों को र्दर्शाते हुए लिखा है की :-
               
    "सुक्ष्मोपकुंचिका तुत्था कोरन्गी द्राविड़ी त्रुटी: , 
      रसे तु कटुका  शीता लध्वी वातहरी भता।
    एला सूक्ष्मा कफवात श्वास कासार्शो  मूत्र कृच्छहृत ।"

   इलाइची का लैटिन नाम इलेट्टेरिया कार्डियोभम है। यह एक अत्यंत उपयोगी फल है, इसका क्षुप सदा हरित होता है। इलाइची में टर्पिन, टर्पिनीनोल, सिनिओल, टर्पिनिल एसिटेट नमक रासायनिक तत्त्व पाया जाता है।

इलाइची दो प्रकार की होती है।
1. छोटी इलाइची (इलेट्टेरिया कार्डियोभम)
2. बड़ी इलाइची  (एभाभम सुब्यूलेटम)
  • छोटी इलाइची का प्रयोग औषध के रूप में एवं मुख शुद्धि के लिए किया जाता है।
  • बड़ी इलाइची का उपयोग गरम मसाले एवं स्नायु शूल में विशेष रूप से किया जाता है।
  • छोटी इलाइची का तेल रतौंधी के लिए सर्व श्रेष्ठ है, इसके तेल को लगाने से जीर्ण रतौंधी भी ठीक हो जाती है।
  • मस्तिष्क  शूल में इसके बीजों को पीस कर सूंघने से छीके आकर मस्तिष्क शूल नष्ट हो जाया है।
  • इलाइची चूर्ण को दूध के साथ प्रयोग करने से पेशाब की जलन में लाभ होता है।
  • ह्रदय रोग  में इलाइची चूर्ण व पीपरामूल चूर्ण को गौ  घृत में मिला कर चाटने से कफ जनित हृद्रोग नष्ट होता है।
  • हैजे (उलटी एवं दस्त) में इलाइची को दरदरा चूर्ण करके एक लीटर पानी में उबल कर चौथाई शेष रहने पर छान  कर प्रयोग करने से आशातीत लाभ मिलता है।
  • पथरी में खीरे के बीज के साथ इलाइची पीस कर गर्म पानी से उपयोग करना श्रेयकर होता है।
  • नकसीर में इलाइची के अर्क को 10-20 मिली तीन-तीन घंटे पर लेने से नकसीर ठीक हो जाती है।
  • पेशाब की गड़बड़ी (मूत्र कृच्छ ) में आंवले के रस में इलाइची चूर्ण डाल कर डाल कर लेना चाहिए।
  • बिच्छू के काटने पर दंश पर इलाइची का तेल लगाने से दर्द व जलन शांत होकर जहर उतर जाता है।  
  • बसों में उलटी की आशंका होने पर इलाइची को चबाकर चूसने से उलटी नहीं आती है।
  • कर्ण शूल में इलाइची का तेल अत्यंत उपयोगी है।
  • सौंफ के साथ इलाइची सेवन से पाचन शक्ति बढती है तथा अम्लपित्त (एसिडिटी) में लाभ होता है।