शनिवार, 19 जनवरी 2013

Ayurveda V/s Latest Medical Science


चरक का कहना है कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो 'औषधि' न हो। आयुर्वेद का मत है कि किसी औषधि का प्रभाव उसके किसी एक घटक के अकेले के प्रभाव से प्रायः भिन्न होता है। औषधियों के कार्य और प्रभाव को जानने के लिये उनके रस (taste), गुण (properties), वीर्य (biological properties) और विपाक (attributes of drug assimilation) का ज्ञान अति आवश्यक है।
    आयुर्वेद में 600 से भी अधिक औषधीय पादपों को औषध के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इन्हें अकेले या दूसरों साथ मिलाकर रोगों से मुक्ति पाया जाता है। औषधीय पादप अलग-अलग तरह के कृषि-जलवायीय क्षेत्रों (जंगल, अनूप, साधारण देश) में पैदा होते हैं। वर्तमान समय में औषधीय पादपों को 'प्राकृतिक औषध' के रूप में प्रयोग करने का चलन बढ़ा है। इस कारण इस विषय का महत्व और भी बढ़ गया है।  जो कुछ नैसर्गिक है वह मनुष्य की समझ के लिये चमत्कार ही है। पूरे बगीचे के सब पौधों को एक ही खाद देने के बावजूद एक पौधे पर लाल फूल आते है, तो दूसरे पर सफेद। क्या यह चमत्कार नहीं है? गंगा नदी से करोडों साल पानी बह रहा है, क्या यह चमत्कार नहीं है? निसर्ग की तरह अपना शरीर भी बहुत बडा चमत्कार है। अतः शरीर में असंतुलन हो जाय तो गया शरीर का नैसर्गिक भाव संतुलन में लाना सिर्फ आयुर्वेद की मदद से ही संभव है। आजकल शरीर की चयापचय क्रिया में बदलाव होकर अनेक प्रकार के रोग हो रहे हैं। मतलब शरीर का नैसर्गिक भाव बदल रहा है। स्वाभाविक ही है, कि इन बिगडे हुये भावों को सुधारने के लिये दवायें केवल आयुर्वेद में ही हैं। 
         आयुर्वेद छोडकर अन्य किसी भी पैथी में यकृत की बीमारी के लिये कोई दवा नहीं है। यकृत के लिये सबसे प्रभावी इलाज है "गोमूत्र'। मैंने लिवर सिरोसिस (चाहे मद्यपान के कारण हो या अति जागरण से पित्त बढने के कारण हो) के कई रोगियों का इलाज किया है। यकृत के इन इलाज़ों में 60 प्रतिशत श्रेय गोमूत्र को होता है।

क्या किडनी फेल्युअर के इलाज के लिये आपको कोई दवा मालूम है? किडनी का कार्य बंद होकर रोगी को डायालिसिस पर रखना रोग की अंतिम अवस्था है। लेकिन सही रूप में देखा जाये तो हममें से कितने लोगों की किडनी ठीक तरह से काम कर रही है? पर यह सत्य आपको कोई बताता नहीं है, क्योंकि उनके पास किडनी का कार्य सुधारने के लिये कोई इलाज नहीं है। किडनी का कार्य बंद होने के बाद डायालिसीस करना या पूरी किडनी बदलना यही इलाज आधुनिक शास्त्र में उपलब्ध हैं। पर मैं अभिमान से कह सकता हूँ कि आयुर्वेद में किडनी की कार्यक्षमता बढाने के उपाय हैं।

इसी प्रकार मसक्युलर डिस्ट्रोफी, ब्रेन ट्यूमर, मल्टिपल स्क्लेरॉसिस आदि रोगों के इलाज के लिये आधुनिक शास्त्र में कोई दवा उपलब्ध नहीं है। दिमाग की गाँठ (ट्यूमर) निकालने की शस्त्रक्रिया में केवल 40-50 प्रतिशत यश मिल सकता है। मेरे पास ऐसे भी लोग आते हैं कि दिमाग की गाँठ निकालने के बाद उनका आँख से दिखना बंद हो गया, कान से सुनना बंद हो गया या मलमूत्र विसर्जन पर नियंत्रण नहीं रहा। शरीर को अपने आप ठीक करने की जो क्षमता होती है उसके कम होने पर या बिगडने से पर आधुनिक शास्त्र में कोई दवा उपलब्ध नहीं है। जीवाणुओं के संक्रमण से होने वाले रोगों पर आधुनिक शास्त्र में दवायें उपलब्ध हैं। मगर ये दवायें रोग को दबाकर रखती हैं, न कि उनका सही इलाज करती हैं। अंततः इनका विपरीत परिणाम हो सकता है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. साहब मैं दाद से पीड़ित हॅ जोकि शरीर मै कोई जगह पर है और वह गोलाई में काला रंग के साथ पपडी के साथ बढ़ता जाता है....... अचूक उपाय बताने की कृपा करें........

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